अपनी आत्मा को जानो, पहचानो, कम से कम 5 मिनट अकेले बैठ के अपनी आत्मा से रोज़ बात करो, ध्यान रहे हमारा बेस हमारी आत्मा ही है, जिस दिन वो शरीर से निकल जाएगी, उस दिन तुम शमशान में जला दिये जाओगे, और ये दुनिया तुम्हें भूल जाएगी, जिसकी वजह से हम जी रहे हैं, खा रहे हैं, पी रहे हैं, देख रहे है, सुन रहे हैं, उसको वैल्यू दो।
पत्थरो में भगवान कभी नहीं मिलेगा, उसे अपने अंदर खोजने की कोशिश करो। वो तो कण कण में है, जर्रे जर्रे में है। भगवान से डरो मत, उसे अपना दोस्त बनाओ।
कुछ बातें बता रहा हूँ, अगर ऐसा आप करोगे तो आपको मन की शांति तो मिलेगी ही साथ ही साथ बंधनो से आज़ाद हो जाओगे।
1) जब भी खाना खाएं, ज़ोर से कहें, सभी प्यारी आत्माएँ मेरे ऊपर आके खाना खाये, क्यूंकी आत्मा अजर अमर है, उसके पास शरीर नहीं है, पर उसे भी भूख प्यास लगती है।
2) जिस भी देवी देवता, गुरु, पीर, पैगंबर को आप मानते हो, उन्हे भी इसी तरह अपने ऊपर बुला के खाना खिलाओ।
3) आत्माओ से लोग डरते हैं, उन्हे भूल प्रेत कहते हैं, ये गलत है, वो हमारे ही तो पूर्वज, देवी देवता, गुरु लोग हैं जो आज शरीर से नहीं हैं पर आत्मा से हैं, पर लोग इस तरफ ध्यान नहीं देते।
4) अगर आप किसी को कुत्ता कहोगे तो वो आपको वैसा ही रिएक्शन देगा, इसी तरह आत्माओ को भी अगर आप भूत प्रेत कहोगे तो वो वैसा ही व्यवहार करेंगी और अगर उनको प्यारी आत्मा कहेंगे तो आपको ही सपोर्ट करेंगी।
2) जिस भी देवी देवता, गुरु, पीर, पैगंबर को आप मानते हो, उन्हे भी इसी तरह अपने ऊपर बुला के खाना खिलाओ।
3) आत्माओ से लोग डरते हैं, उन्हे भूल प्रेत कहते हैं, ये गलत है, वो हमारे ही तो पूर्वज, देवी देवता, गुरु लोग हैं जो आज शरीर से नहीं हैं पर आत्मा से हैं, पर लोग इस तरफ ध्यान नहीं देते।
4) अगर आप किसी को कुत्ता कहोगे तो वो आपको वैसा ही रिएक्शन देगा, इसी तरह आत्माओ को भी अगर आप भूत प्रेत कहोगे तो वो वैसा ही व्यवहार करेंगी और अगर उनको प्यारी आत्मा कहेंगे तो आपको ही सपोर्ट करेंगी।
फिर कुछ बातों के साथ फिर से मिलूँगा आप सब से। क्यूंकी अगर आप ये करना शुरू करोगे तो आपके मन में बहुत सारे सवाल भी होंगे।